Apoorva Shukla

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लेखनी प्रतियोगिता -आदमी

तुम आदमी हो तुम रो नहीं सकते 
तुम आदमी हो तुम कोमल हो नहीं सकते... 
दर्द तुम्हें कितना भी सताए 
या दिल तुम्हारा कोई तोड़ जाए... 
पर आंखें नम ना हो तुम्हारी
 ये दुनियाँ तुम्हें यही रीत सिखाएँ... 
जिम्मेदारियां तुम्हें तोड़ दे 
या तन्हा कोई छोड़ दे... 
 तुम आसूँ ना बहाना दर्द को पी जाना
 पर तुम मुस्कुराना..... 
 कठोरता ही तुम्हारी पहचान है 
कठोर बनना ही तुम्हारा काम है... 
जो आसूँ बहाये तो पुरुषों की श्रेणियों से
निकाल दिए जाओगे..... 
जो कोमलता तुमने दिखाई तो
 औरत पुकार लिए जाओगे.... 
इस दुनियाँ की रीत यहीं 
ना विद्रोही औरत बर्दाश्त की जाएँ
 ना रोता हुआँ आदमी.... 
अपूर्वा शुक्ला🍁✍

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13 Comments

Gunjan Kamal

15-Nov-2022 05:13 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Teena yadav

07-Nov-2022 08:19 PM

OSm

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Apoorva Shukla

08-Nov-2022 09:57 PM

Thanks

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Haaya meer

07-Nov-2022 07:09 PM

Amazing

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Apoorva Shukla

08-Nov-2022 09:57 PM

Thanks

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